सुनहरा केकड़ा की सच्ची कहानी

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सुनहरा केकड़ा |एक समय की बात है की एक गांव में एक ब्राह्माण खेतीबाड़ी था । वह ब्राह्मण खेतीबाड़ी करता था । उसके पास कुछ खेत भी थे जिनसे अच्छी पैदावार होती थी और मजे में उसकी गुजर-बसर हो जाया करती थी । उसके खेतों के पास ही एक तालाब था ।एक दिन खूब गर्मी पड़ रही थी । ब्राह्मण खेतों में काम कर रहा था। दोपहर को काम बंद करके वह नहाकर ठंडा होने के लिए तालाब के जल में उतरा । नहाते - नहाते उसकी नजर एक सुनहरे केकड़े पर पड़ी। उसे वह केकड़ा बहुत प्यारा लगा ।उसने