एक बार फिर देवर्षि नारद के मन में यह अभिमान पैदा हो गया कि वे ही भगवान् विष्णु के सबसे बड़े भक्त हैं। वे सोचने लगे 'मैं रात-दिन भगवान् विष्णु का गुणगान करता हूँ। फिर इस संसार में मुझसे बड़ा भक्त और कौन हो सकता है? किन्तु पता नहीं श्रीहरि मुझे ऐसा समझते हैं या नहीं? यह विचार कर नारद भगवान् विष्णु के पास क्षीर सागर में पहुँचे और उन्हें प्रणाम किया। विष्णु जी बोले "आओ नारद, कहो कैसे आना हुआ?" नारद बोले "भगवन्, मैं आपसे एक बात पूछने आया हूँ।" भगवान् विष्णु बोले "मैं तुम्हारे मन की बात जानता