आगे की कहानी विलायत की तैयारी... सन 1886 में मैंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। देश की और गांधी-कुटुंब की गरीबी ऐसी थी कि अहमदाबाद और बंबई-जैसे परीक्षा के दो केंद्र हों, तो वैसी स्थितिवाले काठियावाड़-निवासी नजदीक के और सस्ते अहमदाबाद को पसंद करते थे। वही मैंने किया। मैंने पहले-पहल राजकोट से अहमदाबाद की यात्रा अकेले की।बड़ों की इच्छा थी कि पास हो जाने पर मुझे आगे कॉलेज की पढ़ाई करनी चाहिए। कॉलेज बंबई में भी था और भावनगर में भी। भावनगर का खर्च कम था। इसलिए भावनगर के शामलदास कॉलेज में भरती होने का निश्चय किया। कॉलेज में मुझे