विरासत - भाग 2

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नीलम कुलश्रेष्ठ   1 - सीख वह दुनिया में कोई बेईमानी, भ्रष्टाचार देखकर दंग है। दुनियां के बदलते तेवर देखकर दंग है। न आँखों की, न उम्र की शर्म न रिश्तों का लिहाज़, न दोस्ती की गरिमा -जैसे ये शब्द शब्दकोष का हिस्सा बनते जा रहे हैं। वह अपने बेटे को लोमड़ी व कौए की कहानी सुनाती है। बड़ी गम्भीरता से सिखाती है, “बेटा! कभी किसी को दग़ा नहीं देना, न दुःख देना। लोमड़ीनुमा चालाकी भरी नीचता से दूर रहना। किसी की रोटी नहीं छीनना, किसी का शोषण नहीं करना।” बेटा ध्यान से सुनता है, मनन करता है। वही बेटा