कानून सो रहा है। राम गोपाल भावुकपंचमहल की धरती पर चक्रेश ग्वालियरी जैसा व्यक्तित्व विचरण करता रहा है। आपका काव्य संकलन कानून सो रहा है जनवादी लेखक संध डबरा इकाई ने प्रकाशित किया है। आपका पूरा नाम था अयोध्या कौशिक चक्रेश। इस कृति के दो भाग है। पहले भाग में उनकी कवितायें प्रकाशित की गई हैं। दूसरे भाग में उनकी लधु कथाओं को स्थान दिया गया है। वे बरदान कविता में बरदान अपने लिये नहीं देश के लिये मांगते हैं-दानव में मानव ढूंढ़ूऐसी मुझे पहचान चाहिए।महल अटारी का न मैं भूखा।मुझको छोटी छान चाहिए।ऐसी भावनाओं से ओत प्रोत यह संकलन।