ममता की छाँव - भाग 7

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अंशिता पहले की तरह रोज़ ही हिमांशु के घर जाती रही। उन दोनों बच्चियों को गोद में उठाती उन्हें प्यार करती। धीरे-धीरे समय व्यतीत होता गया, ये तीन माह तीन वर्ष की तरह बीते थे। अब तक सपना की माँ बच्चियों को संभाल लेती थीं लेकिन उन्हें भी अपने घर वापस लौटना पड़ा और आज घर सूना था। घर पर हिमांशु और उसके पिता के अलावा केवल काम वाली बाई विमला ही थी। हिमांशु और उसके पिता चिंतित थे कि अब क्या करें? कैसे करें? शाम का समय था तभी अंशिता उनके घर आई। हिमांशु अपने दुःखों के साथ अकेला