एक रूह की आत्मकथा - 33

  • 3.9k
  • 1
  • 1.8k

समर और कामिनी के सभी रिश्तेदारों से मिलने ,उनसे लंबी बातचीत करने के बाद दिलावर सिंह समझ गए थे कि इनमें से कोई भी कामिनी का हत्यारा नहीं है।हालाँकि सबके पास हत्या की अपनी वज़ह थी। नब्बे प्रतिशत वज़ह तो कामिनी की दौलत ही थी। दिलावर सिंह को आज के लोगों की उपभोक्तावादी मानसिकता पर कोफ़्त हुई।सभी धन के पीछे भाग रहे हैं।सभी चाहते हैं कि बिना मेहनत किए किसी प्रकार धन मिल जाए।छल -कपट,चोरी- बेईमानी,हत्या- लूट कुछ भी करना पड़े।नैतिकता,मानवता,धर्म किसी का भी विचार नहीं । कोई नहीं सोचता कि संसार में खाली हाथ आए हैं और खाली हाथ