आंसु पश्चाताप के, भाग 5इधर सेठ धर्मदास के फोन बजने लगा , वह फोन को अपने कानों से स्पर्श करके बोले - हैलो कौन ?पापा प्रणाम मैं ज्योती बोल रही हूँ । क्या बात है ज्योती तुम इतनी उदास होकर क्यों बोल रही हो ?क्या बताऊं पापा ? क्यों अपनी बात अपने पापा से नहीं बताओगी तो किस से बताओगी , बोलो क्या बात है तुम्हारी तबीयत तो ठीक है , हाँ पापा सब ठीक है , प्रकाश कैसे है - उनके बारे में क्या बताऊ पापा आप एक रोज के लिए यहाँ आते तो बिन बताये सब कुछ जान