आंसु पश्चाताप के - भाग 1

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भाग १आँसु पश्चाताप के शाम के धुले प्रकाश में एक खूबसूरत औरत बनारस सागर के तट पर किसी का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी , मगर जब दिये हुए समय को इंतजार की घड़ियां पार करने लगी तो उसका उत्सुक पल मायूसी के छण में तब्दील होने लगा और वह निरास मन से चहल कदमी करने लगी ।इतने में एक व्यक्ति को अपनी तरफ आते हुए देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई उसका मायूसी भरा पल खुशी के पल में तब्दील हो गया अभी वह अपने पास आये व्यक्ति से कुछ कहती की वह पहले ही पहल