गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 1

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इस लेखमाला में मैंने गीता के श्लोकों व उनके अर्थों को केवल एक प्रेरणा के रूप में लिया है।यह न तो उनकी व्याख्या है न विवेचना क्योंकि मुझमें मेरे आराध्य भगवान कृष्ण की वाणी पर टीका की सामर्थ्य बिल्कुल नहीं है।मैं बस उन्हें आज के संदर्भों से जोड़ने व स्वयं अपने उपयोग के लिए जीवन सूत्र ढूंढने व उनसे सीखने का एक मौलिक प्रयत्न मात्र कर रहा हूं।वही मातृभारती के आप सुधि पाठकों के समक्ष भी प्रस्तुत कर रहा हूं।आज प्रस्तुत है पहला जीवन सूत्र: