कहानी प्यार कि - 63

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" चाची आप यहां ? " अनिरुद्ध ने हैरानी के साथ कहा..." अनिरूद्ध प्लीज मुझे माफ करदो.. में जानती हु मैने बहुत गलतियां की है पर पर में अपनी सारी गलतियां सुधार दूंगी.. प्लीज मुझे जेल जाने से रोक लो..."वैशाली गिड़गिड़ाती हुई बोली..." प्लीज चाची अभी में इस बारे में आपसे कुछ बात नही करना चहता..." बोलते हुए अनिरुद्ध जाने लगा.." रुको रुको अनिरुद्ध प्लीज में तुम्हे सब सच बताऊंगी.. हर एक बात बताऊंगी जो जगदीशचंद्र और हरदेव ने मुझसे कही है..." वैशाली के मुंह से यह सुनकर अनिरुद्ध रुक गया.." अगर तुम संजना को बचाना चाहते हो तो प्लीज