अध्याय ४. विदेशों में पुनर्जन्म की घटनाएँ एवं मान्यताएँ।मरणोत्तर जीवन एवं पुनर्जन्म की मान्यता हमें चिंतन के कितने ही उत्कृष्ट आधार प्रदान करती है। आज हम हिंदू भारतीय एवं पुरुष हैं। कल के जन्म में ईसाई, योरोपियन या स्त्री हो सकते हैं। ऐसी दशा में क्यों ऐसे कलह बीज बोयें, क्यों ऐसी अनैतिक परंपराएँ प्रस्तुत करें, जो अगले जन्म में अपने लिये ही विपत्ति खड़ी कर दें। आज के सत्ताधीश, कुलीन, मनुष्य को कल प्रजाजन, अछूत एवं पशु बनना पड़ सकता है। उस स्थिति में उच्च स्थिति वालों का स्वेच्छाचार उनके लिए कितना कष्टकारक होगा? इस तरह के विचार दूसरों