ताश का आशियाना - भाग 19

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गंगा रागिनी से बात करने के बाद रिक्शा में बैठी। सूरज अपने परमसीमा पर पहुंचने की कोशिश में था। सूरज गंगा की गोदी से ऊपर आया तब से लेकर सूरज सिर पर नाचने तक गंगा बाहर थी। इसलिए बिना कुछ सोचे उन्होंने रिक्शा लेना ठीक समझा। यह कोई 25 मिनट में घर पहुंच जाती रिक्शा की मदद से।घर जाकर बहाना भी तो बनाना था, जो परिस्थिति के अनुकूल हो।लेकिन अभी भी मन कुछ महीने पहले अतीत को ही कुरेद रहा था। रागिनी का सिद्धार्थ के जिंदगी में आना कोई दैवी- चमत्कार नहीं था। शास्त्री जी के चेले–सुपुत्र देवधर शास्त्री।बाप के