अंजलि के मुँह से बार-बार बड़ी हो रही हो, शब्द सुनकर अंशिता सच में अपने आप को बड़ी समझने लगी। उसकी ज़रूरतों ने छोटी सी अंशिता को अपने ख़ुद के काम करने के लिए मजबूर कर दिया और वह धीरे-धीरे सीखने भी लगी। वह जामफल धोकर उसे जैसे तैसे काटती और खा लेती। अंशिता अपना स्कूल का होम वर्क, अपनी पढ़ाई, सब कुछ ख़ुद से कर लेती थी। उसे उसकी मम्मा पर बहुत विश्वास था। उसे लगता उसकी मम्मा उसे यह सब कुछ सिखाने के लिए ही तो कहती हैं। एक दिन अंशिता ने सेब को धोकर काटा और आड़ी