अग्निजा - 93

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लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-93 वजन तो कम हो ही रहा था, परंतु उससे दुगुनी गति से बाल भी कम हो रहे थे। मानो उन्हें चरबी का विरह सहन नहीं हो रहा था और वे भी चरबी के साथ निकलते जा रहे थे। डायटिंग और वजन कम करने के लिए केतकी का अभिनंदन करने वाले तो कम ही थी, उससे दूरी बढ़ाने वाले लोग अधिक होते जा रहे थे। उससे नजरें चुराने लगे थे। मन ही मन वह कुढ़ रही थी। बालों का झड़ना क्या उसका गुनाह था? क्या बाल ही किसी व्यक्ति की पहचान होते हैं? बालों के लिए आदमी