[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] [मेरी उन्नीस वर्ष की आयु में लिखी प्रथम लघुकथा 'रोटी'में उस रोटी की चिंता थी जो गरीबों से छीन ली जाती है।'इस लघुकथा 'मिशन मंगल में भी प्रथम लघुकथा के लिखे जाने के सैंतालीस साल के अंतराल के बाद भी 'रोटी 'के लिए वही चिंता जीवित है आठ वर्ष तक मेरी लघुकथा संग्रह 'रोटी 'की पांडुलिपी अपने प्रकाशन इंतज़ार करती रही। डॉ. नीरज शर्मा ने अपने वनिका प्रकाशन से इसे प्रकाशित किया है.और देखिये ऊपर वाले का कमाल मैंने अप्रैल २०२० में इस संग्रह की अपनी भूमिका में ये जोड़ा था --- 'अंतरिक्ष को नापने वाला