मानभंजन--(अन्तिम भाग)

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प्रेमप्रताप का ऐसा बदला हुआ व्यवहार देखकर मोती की प्रसन्नता की सीमा ना रही,उसे अचरज हो रहा था कि कोई भी बुरा इन्सान प्रेम की धारा में बहकर इतना स्वच्छ और निर्मल हो सकता कि वो अपने सारे दुर्गुण भूल जाएं,इसका मतलब है कि प्रेम में बड़ी ताकत होती है जो किसी भी जानवर को इंसान बना सकता है,प्रेमप्रताप का प्रयागी के प्रति स्वार्थ रहित प्रेम देखकर मोतीबाई को असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी,उसने ये बात रूद्रप्रयाग से भी कही लेकिन रूद्र को मोती की बात पर भरोसा ना हुआ और वो उससे बोला.... मोती!तुम प्रेमप्रताप को समझने