प्रयागी की समझ में नहीं आ रहा था कि वो अपने पति की बात माने या नहीं,क्योंकि उसकी अन्तरात्मा इस बात को मानने के लिए कतई राजी नहीं थी,वो मन ही मन सोच रही थी कि कैसे कोई पति अपनी पत्नी से परपुरूष से प्रेम का अभिनय करने को कह सकता है,उसे अपने प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे थे और वो सोच रही थी कि वो अपने प्रश्नों के उत्तर किससे जाकर पूछें.... तभी एक रोज़ ऐसा हुआ जो प्रयागी ने कभी सोचा ना था,रूद्रप्रयाग ने तो मन में ठान ही लिया था प्रेमप्रताप से बदला लेने का और