प्रेमशास्त्र - (भाग-३)

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वैद्य आ गए औऱ उपचार शुरू हुआ। तरह-तरह की जड़ीबूटियां दी गई फ़िर भी श्रीकृष्ण पर कोई असर नहीं हुआ। वो तो ऐसे लग रहें थे मानों गहरी निद्रा में सो रहें हो। मथुरावासी के तो मानो प्राण ही सुख गए। मथुरा की प्रजा जिन्हें भगवान मानकर पूजती थीं आज उन्हीं के लिए भगवान से प्राथर्ना कर रहीं थीं। वसुदेव जी ने उद्धव से कहा - तुम तो कृष्ण के सखा व शिष्य भी हो , सदैव कृष्ण के साथ रहतें हों । तुम ही बताओं कृष्ण को क्या हुआ हैं ? ऊद्धव को खुद कुछ समझ नहीं आ रहा