राज बोहरे का कथा साहित्यप्रथम पुस्तकगोस्टा तथा अन्य कहानियाँDr के बी एल पाण्डेयबौद्धिक विविधता और सामाजिक-सांस्कृतिक अनुभवों में व्यावहारिक संलग्नता से समग्र रूप में विकसित राजनारायण बोहरे का व्यक्तित्व उनके रचनात्मक लेखन में भी प्रतिबिम्बित होता है। उनकी सूक्ष्म दृष्टि सामान्य या विशिष्ट किसी घटना या प्रसंग को बचकर नहीं निकलने देती। वह उसे अनुभूति के स्तर पर ग्रहण और विश्लेषित करते हैं और उसे अतर्क्य न रहने देकर उसके आशयों की टोह लेते हैं। यही कारण है कि इन कहानियों में अनुभवों का विशद आयतन भी है और संवेदना के घनत्व का संकेन्द्रण भी ।गाँव, कस्बों और नगरों के