सौतन बनी सहेली...

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जनार्दन प्रसाद गुप्ता सौरीगृह के बाहर बड़ी बैचेनी के साथ चक्कर काट रहे थे,तभी उनकी विधवा माँ अनुसुइया आकर बोली.... अरे इस बार क्यों घबराता है,हरिद्वार से आए़ ज्योतिषी ने गारण्टी लेकर कहा था कि इस बार लड़का ही होगा,सब कहते हैं उनका वचन कभी खाली नहीं जाता..... अब क्या बोलूँ अम्मा?लेकिन कोई कितनी भी तसल्ली दे ले ,जी तो घबराएं ही है ना!चार बार ये दर्द झेला है मैनें,लोंग कैसें खिल्ली उड़ाते हैं बेटी के पैदा होने पर,ये तेरे से ज्यादा बेहतर और कौन समझ सकता है?जनार्दन गुप्ता बोलें.... सही कहता है बेटा!बस,इस बार भगवान लाज रख लें,फिर आइन्दा