डाली की कोयल

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मेरा नाम रीत हैं। रीत जिसका जन्म पाखीपुर में हुआ हैं। एक छोटा सा गांव । जहां की हर सड़क हर गली महकती हैं। हर एक कोना दीप सा रौशन रहता हैं। हर घर के चूले की आंच में पुरखों की सीख उस चिंगारी की तरह जीवित हैं जो कभी भी ठंडी नही होती। मेरे गांव में कच्ची सड़क हैं पर यहां की नीव सदियों पुरानी हैं। रोज़ हजारों लोग इस सड़क से गुज़रते हैं कोई दुखी होता है कोई सुखी किसी के घर खुशखबरी होती हैं किसी की बछिया मर गई हैं।तो किसी की नई फसल में कीड़े पड़