में और सत्यजीत सुदर्शन बाबू के घर पहुंचे वहां पहले से ही करुणा और परिवार उपस्थित था और सामने वाली कुर्सी पर इंस्पेक्टर साहब भी बैठे थे। करुणा दिखने में सीधी सादी औरत लग रही थी उसके साथ उसके पति और दोनों बच्चे भी थे। हमें आता देख इंस्पेक्टर साहब हमारे पास आने लगे । उन्हें आता देख सत्यजीत कहने लगा इंस्पेक्टर आ रहा है। तैयार है जाओ। क्यों भला कोई युद्ध लड़ना है क्या। सत्यजीत – युद्ध ही है अरूप । इंस्पेक्टर , अरे आइए सत्यजीत बाबू आपका ही इंतजार था। आखिरकार आप आ ही गए हरिनाथ के घर