सोई तकदीर की मलिकाएँ - 31

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सोई तकदीर की मलिकाएँ    31   बसंत कौर के जवाब न देने से रख्खी का हौंसला पस्त नहीं हुआ । उसने हाथ नचाते हुए कहा – बाहर निकल कर देखो , सारा गाँव मुंह जोङ जोङ कर बातें कर रहा है । इस उम्र में शादी की बात किसी को हजम नहीं हो रही । ऐसे कैसे माँ बाप हैं जिन्होंने यह मेल मिला दिया । माँ बाप नहीं हैं बहन । उन्हें मरे तो दस बारह साल हो गये । दो भाई है । दोनों ब्याहे हुए । बाल बच्चेदार । तभी मैं कहूँ । बेगानी बेटियों को