सुरेश थापा आजकल सातवें आसमान पर रहता था,यूं तो वो अपनी बिल्डिंग मे पिछले दो सालो से वाचमैन था,रहने के लिये उसे एक कमरा भी सेक्रेटरी के सौजन्य से मिला हुआ था,उसका विश्वासपात्र था,सो अपनी बीवी और अपने छोटे बच्चे को भी साथ रखता था,पगार भी ठीकठाक थी,सो वो अपने किरायेदारो और ओनरो को भी खुश रखता था,सबके काम आता था,मिलनसार था,सभी उसका और उसके परिवार का ख्याल रखते थे,किसी बात की कमी नही होने देते थे।हलांकि दो और भी वाचमैन थे,पर वो ही सबके आंखो का तारा था,सब उसे ही वक्त बेवक्त ढूंढते रहते थे।पर जब से ये लाकडाउन