बहुत करीब मंजिल - भाग 11

  • 3.5k
  • 1.8k

आदरणीय पिताजी, प्रणाम!,आप सभी से बहुत प्यार करती हूँ, पर उतना ही प्यार अपने सपनों से भी करती हूँ । शायद यहाँ रहकर मैं कभी अपने सपने पूरे नहीं कर पाऊँगी। मेरा सपना है कि मैं बहुत बड़ी ड्रेस डिजाइनर बनूँ। पर जीजी के सपनों के आगे आपको किसी के सपने दिखाई ही नहीं देते। क्या आपने कभी मेरे सपनों के बारे में पूछा ? याद कीजिए आपने कभी मुझसे नहीं पूछा कि आगे जाकर मैं क्या करना चाहती हूँ। जब से समझने लगी हूँ तब से आपको एक ही सपना देखते-देखा है कि आपकी लाडली चंदा जीजी डॉक्टर बन