छत्तीसगढ़ में सतनामियों के लिए गुरु घासीदास जयंती का उपलक्ष्य एक बहुत बड़ा आयोजन और अवसर होता है. क्योंकि, वे लोग गुरु घासीदास जी के अनुयायी तथा सतनामी धर्म के मानने वाले होते हैं. सत्य-अहिंसा पर मजबूत विश्वास रखते हैं. ज्यादातर, वे आडंबरों से मुक्त रहते हैं तथा गुरु घासीदास के संदेशों पर चलने का प्रयास करते हैं. महापुरुषों के जन्म-जयंती को छोड़ दे तो, हिन्दुओं के समान दिवाली, होली, दशहरा आदि सतनामियों का अपना कोई तीज-त्यौहार नहीं है. इनका, हिन्दू रीति-रिवाजों, तीज-त्यौहारों से सीधा संबंध नही होता है. हालाँकि, वे लोग हिन्दू त्योहारों में सहभागिता जरुर निभाते