मीत (भाग -१)

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मुझें गाने सुनते हुए काम करने की आदत हैं । आज भीं जब मैं अपने कमरें की सफ़ाई कर रहीं थीं तब आदतन मैंने रेडियो ऑन कर लिया था। उम्र का दौर था या इश्क़ का जोर तय करना मुश्किल था पर जब भीं बालासुब्रमण्यम की आवाज़ में कोई गीत सुनती थीं तो दिल करता उनके गाये गीतों को सुनकर उम्र गुजार दूँ । “तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अनजाना… मैंने नहीं जाना… तूने नहीं जाना…” आज गीत औऱ गायक की मखमली आवाज़ जिसकी मैं दीवानी थीं ,,चुभ रहें थें किसी शूल की तरह । आज जब