इश्क़ ए बिस्मिल - 53

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अरीज... अज़ीन.... अरे! कहाँ हो आप दोनों।“ ज़मान खान उनके कमरे की तरफ़ आते ही उन्हें ज़ोर ज़ोर से पुकारने लगे। अरीज जो बेडशीट लगा रही थी यकायक उसके हाथ थम गए थे और अज़ीन अरीज की कीपैड वाली मोबाइल पर गेम खेलने में मसरूफ़ थी वह भी चौकन्ना हो गई। ज़मान खान हाथों में मिठाई का डब्बा लिए हुए कमरे में आ गए थे। “चलो मेरी शाहज़दियों जल्दी जल्दी अपना मूंह मीठा करो।“ वह कहने के साथ साथ अरीज और अज़ीन का मूंह भी मीठा करवा रहे थे। “क्या हुआ बाबा?.... मिठाई किस खुशी में?” अरीज ने बध्यानी में