फिर जो स्थिति नैना की हो रही थी देखने लायक थी। नैना को कुछ भी ठीक नहीं लग रहा था।उसे सबके साथ रहने के बाद भी बहुत ही अकेला पन था। एक एक दिन एक सदियों के समान था। फिर एक एक दिन करके निकलने लगें। नैना की आंखें उसके पास थी पर वो कहीं से भी खुश नहीं थी। उसे हर पल की बेचैनी थी। नैना हर रोज निलेश का इंतजार करने लगी थी। पर उसे क्या पता कि निलेश अब कभी नहीं आएगा। सदियां बीत जाएंगी पर निलेश कभी नहीं आ पाएगा। क्या है ये जुनून है या