महादेव... मेरी नजर से - 3

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"आदि है वो अंत है,आकार नहीं साक्षात्कार है वो, निराकार निर्विकार ओमकार है,वो अंत है अनादि है, जगतपिता जगत व्यापी है, जो हर कन मे बसे है हर मन मे बसें है बस हम उनसे अलग हो जाते है वही देह मे विलीन शिव, शिवाय महादेव है वो. !!"महादेव ऐसे तो हर रूप मे नंबर वन है.!!पर उनका सबसे अच्छा रूप है एक प्रेमी एक पति का.!!महादेव ने माँ सती को अपना प्रेम दर्शाया था.!ये जानते हुए की अभी भी उनको अत्यधिक तपस्या की आवश्यकता है.!!फिर भी केवल उनके प्रेम के कारण उनसे विवाह कर लिया था.!ज़ब माता सती उन्हें