ज़िंदगी क्या सच में गुलज़ार है?

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ये जो शीर्षक है, वो देखा जाए तो सवाल है मेरा हर एक से। आपके मानने से ज़िंदगी क्या है? आपका ज़िंदगी को देखने का नज़रिया केसा है? क्या आप भी इसे गुलज़ार मानते है या बस उस गाने की तरह, "जीवन हैं अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा" !!! बस में बैठे बैठे नैना खिड़की के बाहर देख रही थी। आज बड़े दिन के बाद वो बस से जा रही थी। वैसे उसे बस से सफर करना पसंद नहीं था, वो भीड़ और लोगों से दूर ही रहना पसंद करती थी पर अगर window seat मिल जाए तो कोई