नई सुबह अपने साथ कितना कुछ लेकर आती हैं। नया दिन , नया उत्साह , नई उमंग , नई ताज़गी औऱ ख़ूब सारी सकारात्मक ऊर्जा ! मेरी बॉलकनी से पेड़ों की झुरमुट से झाँकता हुआ सुर्ख लाल सूरज ऐसा लग रहा था मानो मुझसे कह रहा हो - गुड़ मॉर्निंग मालिनी ! मैं फिर आ गया अपना जादू का पिटारा लेकर । वाक़ई सूरज किसी जादूगर से कम नहीं होता हैं । एक तिलिस्म हैं सूरज के उगने औऱ ढलने में । सुबह का सूरज ऐसा होता हैं मानो कोई युवा अपने तेज़ से पूरे विश्व को जला देगा ।