दिव्या जब अपने पार्टी ऑफिस पहुँचती है, तो देखती है कि कॉलेज में जो विद्यार्थी उसका भाषण सुनकर उस पर तालियां बजा रहे थे। उनमें से अधिकतर अभी सामने विपक्षी पार्टी के कार्यालय में बैठे थे। दिव्या का अभी राजनीति में पहला - पहला कदम था और वह राजनीतिक दांवपेंचो से अनभिज्ञ थी। वो यह दृश्य देखकर अचंभित रह गयी। "क्या बात है दिव्या जी? बड़ी परेशान नज़र आ रही हो? अचानक राकेश कुछ व्यक्तियों के बीच में से उसके पास आकर बोलता है। "अरे ! आओ। नहीं तो बस ऐसे ही । सोच रही थी कि ये जो सामने