यह सुबह भी कल की सुबह की तरह ही अनाहिता के लिए बुरे सपने के जैसी थी जिसकी उम्मीद उसने नही की थी की उसके साथ ऐसा भी कुछ हो जायेगा। आखिर वोह पहुँच कैसे गई थी इस परिस्थिति में? क्यूं वोह अपने आप को रोक नहीं पाई थी, क्यों उसने उसे और उकसा दिया था?"यू। आर। एन। ऐसहोल। अभिमन्यु। ओबरॉय। अ। फकिंग। ऐसहोल।" अनाहिता ने एक एक शब्द पर जोर देते हुए कहा। वोह बौखला चुकी थी। उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। वोह खुद ही नही समझ पा रही थी की वोह क्या और क्यूं