“उसका यह कोर्स आपने चुना था या उसने खुद?“ अभिमन्यु ने आगे सवाल किया जबकि इसका जवाब वोह जनता था। “मैने चुना था,” विजयराज जी ने टेबल पर रखे पानी से भरे ग्लास को उठा लिया और एक सांस में गटक गया। “उसके लिए यही सबसे अच्छा था।” “यह डिग्री हासिल करना और फिर नौकरी करना, आप के लिए तो यह बेकार की बातें हैं?“ अभिमन्यु ने पूछा। “वोह कॉलेज जाना चाहती थी। और मैने उसे जाने दिया।” विजयराज जी की आवाज़ ऐसी थी मानो उन्होंने अनाहिता पर एहसान किया था। अभिमन्यु उठ खड़ा हुआ। वोह दीवार पर और टंगी