शायरी - 12

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आप तो फरिस्तों को भी जानते हो उनसे कहो मुझे मौत दे दें,अब तुम्हारे बाद जिंदगी मेरी वफादार नहीं रही।। कितना प्यार हो गया है तुमसे, कि अब नाराज भी नहीं हुआ जाता।।जिंदगी को भारी कर लिया मैंने, मौत की तैयारी कर लिया मैंने।कर रहा था चाकरी तरक्की की होड़ में।कब बच्चे बड़े हो गए कमाने की दौड़ में।।ख्वाहिश थी कि मैं भी खेलूंगा घुटने के बल।अब मेरा चलना मुश्किल पोता खुश हैं दौड़ में।।बीमारियों का सबब है कि ज्यादा भीड़ ना करें।वो दिन गुजर गए जब चोपाल लगा करते थे।।सम्हल कर रहिए जनाब इस दौर में खुद से।अब अपना