दूसरी आँख का आपरेशन हो गया |आसान नहीं था,पर हो गया |न बेटों ने मदद की न भाई -बहनों ने और न ही किसी रिश्तेदार ने |जिस स्कूल को अपना पूरा जीवन दे दिया |उसने भी समय से पूर्व रिटायर करके पीछा छुड़ा लिया |शायद सबको लगता है कि मैं पूरे जीवन अकेली रहकर नौकरी की है तो मेरे पास कुबेर का खजाना तो अवश्य ही होगा |ऐसा न भी लगता हो तो भी मेरी मदद के लिए कोई आगे क्यों आए ?मैं किसी से कोई अपेक्षा करने वाली होती भी कौन हूँ ?आखिर मैंने भी तो किसी के लिए