एक रूह की आत्मकथा - 10

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'चोर की दाढ़ी में तिनका' यानी दोषी सशंकित रहता है। घर वापसी पर यह मुहावरा समर पर लागू हो गया था। उस दिन उसकी पत्नी लीला उसकी आशा के विपरीत घर में मौजूद थी। उसने उसे देखते ही कहा--तो घूम -घुमाकर वापस आ गए। समर चौंक गया--क्या कह रही हो? 'अच्छा,समझ नहीं पाए क्या?'जहरीली हँसी के साथ लीला ने कहा। -क्या नहीं समझ पाए? समर जान-बूझकर अनजान बन रहा था।उसे पता था कि लीला के किसी जासूस ने गोवा में कामिनी के साथ उसके वक्त बिताने की बात बता दी है। 'अपनी चहेती के साथ गोवा में क्या कर रहे