निलेश को इन्तजार था इस बात का कि कब नैना अपने आंखों से निलेश को देख पाएंगी। क्या सच्चे प्यार की हमेशा जीत होती है? क्या इनका प्यार भी रंग लायेगा।या फिर ये सब किताबों में ही अच्छा लगता है।असल जिंदगी में तो कुछ और ही होता है।इन बातों से बेखबर नैना भी निलेश का इंतजार कर रही थी कि कब निलेश आयेगा। फिर रात को बारह बजे ही निलेश अपने बालकनी में जाकर गिटार पर बर्थ डे धुन बजाने लगा। और फिर कुछ देर बाद ही नैना,रेखा, और कोकिला बालकनी में पहुंच गए। नैना ने कहा थैंक यू निलेश।