प्रायश्चित- 2 - Mathur Sahab

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अब राज कुछ समझे उससे पहले ही अंकित जग गया था दूसरा आदमी : वहा!!! भाई आपकी नींद तो बहुत जल्दी ही टूट गई, मुझे अब जल्दी उठोअंकित और राज को ऐसा लग रहा था कि कल रात की सजा देने के लिए यह दोनों आएगा वह दोनों एक दूसरे को देख रहे थे लेकिन मैं अभी तक उनको इसी सवाल का जवाब नहीं मिला थ मिला था तो एक नाम वो भी कोई माथुर साहबराज: ठीक है हम चलते हैं बाद में आराम से राज ने अंकित को देखा और अंकित भी अब मन गया वो दोनो खड़े हो