तुमने कभी प्यार किया था?-१८नैनीताल ठंडी सड़क पर चलना अच्छा लगता है। मन करता है बस,आवाजें सुनायीं दें, मधुर ध्वनियां आती रहें,धरा सहिष्णु बनी रहे,मिठास सतत बढ़ती रहे। यह वही सड़क है जो प्यार और संघर्ष में साथ रही। नैनादेवी मन्दिर से जब इसके मुँह में प्रवेश करता हूँ तो अतीत की यादें बारिश की बौछारों की तरह भिगो देती हैं। बहुत लोगों ने इसे अपने ढंग से समय-समय पर अनुभव किया होगा। अनुभूतियों पर लिपटा मैं भी इसमें घुसते जाता हूँ। कोट की जेब से फोन निकालता हूँ। और जो पढ़ता हूँ, वह मुझे असहज सा कर देता है।