एक रूह की आत्मकथा - 2

  • 7.6k
  • 5.1k

भाग दोमेरा मन अब घर -गृहस्थी के ग्लैमर में ही सुख पा रहा था।सच कहूँ तो मेरा आत्मविश्वास कम हो गया था।मुझे नहीं लगता था कि मैं ग्लैमर की दुनिया में सफल हो पाऊंगी,पर मेरे पति रौनक लगातार मुझे प्रोत्साहित कर रहे थे।वे मुझसे किया वादा हर हाल में पूरा करना चाहते थे।सबसे पहले तो उन्होंने मेरे वज़न को कम करने की दिशा में काम किया।शादी के बाद मेरा वज़न बढ़ गया था।वे मुझे अपने साथ जिम ले जाने लगे।खान -पान को कंट्रोल कर दिया।वे मुझे सुबह जॉगिंग पर भी ले जाते।उनके घर वालों को ये सब बिल्कुल अच्छा नहीं