रिक्शे वाला प्रश्न पूछता रहा पर मुरली अब भी शांत था किंतु राधा बोल पड़ी, “नहीं-नहीं तुम ग़लत समझ रहे हो भैया। हमें किसी ने घर से नहीं निकाला है। घर भी हमारा ही है हम तो बस ऐसे ही वृद्धाश्रम जा रहे हैं, यह देखने कि वहाँ क्या व्यवस्था होती है।” रिक्शे वाला समझदार था, वह राधा की बातों को नज़रअंदाज करके शांत हो गया। वह जानता था कि एक माँ का दिल कभी अपने बच्चों की बुराई नहीं सुन सकता। वृद्धाश्रम पहुँच कर मुरली और राधा रिक्शे से उतर गए। मुरली ने जेब से अपना वॉलेट निकाला तो