सोई तकदीर की मलिकाएँ - 26

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  सोई तकदीर की मलिकाएँ    26     साढे पाँच बजते बजते जयकौर की विदाई हो गई । दोनों भाभियाँ जयकौर को गले लगा कर रो पङी । पता नहीं ननद के विछोह का गम था या उसके छोङे कामों को पूरा कर पाने या न कर पाने का डर कि उनके आँसू सूख ही नहीं रहे थे । जयकौर को इस समय अपने माँ बापू बहुत याद आ रहे थे । अगर वे जिंदा होते तो इस तरह अचानक उसे घर से विदा न होना पङता । साथ ही उसे याद रहा था सुभाष जो आज जरूरत के