कोट - ३०

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कोट-३०मेरे लिखे तीन पन्ने मेरी कोट से निकले और मैं उन्हें पढ़ने लगा।"आज एक वरिष्ठ पेड़ देखा।तना उसका मोटा था।डालियां झुकी हुई। फूल उस पर आते हैं पर कम। फल भी पहले से कम ठहरते हैं। गर्मी, सर्दी और बर्षा का अनुभव उसे है।सांसें लेता है और सांसें छोड़ता है ,आक्सीजन के रूप में।उसके बगल में एक छोटा पेड़ उग आया है।दोनों की दोस्ती हो गयी है।वरिष्ठ पेड़ उसे अपने अनुभव बताता है।कि कितनी बार वह कटा है और फिर उगता रहा है और कभी उसने फूल और फल देने नहीं छोड़े हैं।उसकी कोशिश रहती है कि वह छायादार बना