मेरी अरुणी - 4

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शाम के 8 ही बजे थे, लेकिन लग रहा था कि आज की रात कभी खत्म नहीं होगी। जंगल के बीचोंबीच इस बंगले तक पहुंचने में डॉक्टर और एंबुलेंस को बहुत समय लग गया। घाव अधिक गहरा नहीं था। इसलिए रवि को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ी। पुलिस भी आयी। जब यह घटना घटी, उस समय कमरे में रवि के साथ स्वर्णा भी थी। स्वर्णा का कोई पुराना दोस्त पहले से उस कमरे में छुपा हुआ उनका इंतजार कर रहा था। मौका मिलते ही उसने रवि पर हमला किया और भाग खड़ा हुआ। जब स्वर्णा ने पुलिस को