एक हाथ में सिगरेट और दूसरे हाथ में ब्रश ले कर मृणाल कभी कैनवास को घूरता, कभी टैरेस के दरवाजे को। आज से पोट्रेट का काम शुरू होना है। पर अरुंधती अभी तक नहीं आयी। मृणाल गुस्से में आ कर रघु को आवाज लगाने को हुआ कि तभी सीढ़ियों पर पायल की रुनझुन सुनायी पड़ी। अगले ही पल अरुंधती सामने थी।इससे पहले कि मृणाल कुछ पूछता वह बोली, “सॉरी! तैयार होने में देर हो गयी!”मृणाल ने लाल पाड़ की ढाकाई सफेद साड़ी में लिपटी अरुंधती के माथे पर लाल बिंदी और कमर तक झूलते लंबे बाल को देखा, और देखता