51 - मैं, माँ–तुम सबकी बिखरी चली जाती हूँ जब दीवानगी छाती है मेरी धड़कन मेरी साँसें ठिठक जाती हैं मैं तुम्हारी माँ हूँ तुम रूठ क्यों जाते हो मुझसे सारे ही बंधन तोड़ जाते हो मुझे रौंदने लगते हो कैसी सिसकती हूँ क्या देख नहीं पाते हो ? महसूस करो मेरी साँसों को मेरी धड़कन को मेरे तन-मन को तुम्हारी माँ हूँ जन्मे हो इस गर्भ से ही !! 52 - रोता क्यूँ है ? सुबकी सी सिसकी है आँखों में विश्वास नहीं मैं तेरे साथ खड़ा हूँ क्यों तुझको अहसास नहीं ? तन-मन लगा दूँगा तुझको बचा