डेफोड़िल्स ! - 3

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21 - अमलतास मैंने लिखा है तेरा नाम सुबह की हथेली पर सूरज की किरण से मैंने छूआ है तेरा नाम एक-एक कोमल फूल जैसे चमन से मैंने बोए हैं बीज अमलतास के जिन पर फूले हैं गुच्छे आशा, विश्वास के धड़कनों ने की है सरगोशी भी ओढ़ाया है दुपट्टा शर्म का, लिहाज़ का मेरी हथेली पर सजी है मेंहदी तेरी मुहब्बत की झुकी पलकों में छिपी है कोई कहानी भी वो सब इसलिए कि ज़िंदा है तू मुझमें प्रकृति अपनी सारी संवेदनाओं के साथ !!     22 - खोखले क्यों ? मुझे आभास होने दो मुझे विश्वास होने